श्री गुरु पूजा महोत्सव (गुरु पूर्णिमा) - 10 जुलाई 2025 (गुरुवार)
प्रतिवर्ष आषाढ़ पूर्णिमा को श्री गुरु पूजा - महोत्सव होता है। साधक-शिष्यों के लिए यह मंगलमय पवित्र एवं महान पर्व है। गुरु पूर्णिमा के पावन दिन हर साधक-शिष्य को श्री गुरु के चरणों में पहुँच कर दर्शन और पूजन करना चाहिए। बिना निमंत्रण के ही उत्सुक होकर आश्रम से संपर्क करना चाहिए, एवम् उत्सव में सम्मिलित होना चाहिए।
नवरात्र – अनुष्ठान - 22 सितम्बर 2025 (सोमवार)
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिनों का यह कार्यक्रम है। प्रतिदिन ‘शक्तिचालीसा’ का पाठ एवम् हवन आदि होता है। विजयादशमी के दिन अनुष्ठान की पूर्णाहुति होती है।
संन्यास - दिवस - 23 नवम्बर 2025 (रविवार)
२३ नवम्बर को परम पूज्य बाबा ने संन्यास ग्रहण किया था। इस पवित्र दिन को ‘संन्यास-दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। बाबा का पूजन, अभिषेक, हवन एवं प्रवचन आदि कार्यक्रम होते हैं।
महाशक्ति तृतीया - 16 जनवरी 2025 (गुरुवार)
माघ कृष्ण तृतीया (दक्षिण भारतीय संवत पौष कृष्ण तृतीया) को बाबा इस धराधाम पर अवतरित हुए। यह दिन ‘महाशक्ति तृतीया’ के रूप में मनाया जाता है। पूजन, पाठ, प्रवचन आदि कार्यक्रमों के अतिरिक्त बच्चों को वस्त्र एवम् प्रसाद बाँटा जाता है।
शक्ति-विजय-ध्वज-दिवस एवं अवधूत-दिवस - 13 मार्च 2025 (गुरुवार)
फाल्गुन पूर्णिमा को बाबा ने संन्यास त्याग करके अवधूत में प्रवेश किया। उसी दिन शक्तिपूरी में माई का ध्वज ‘शक्ति-विजय-ध्वज’ भी बाबा ने स्वयं प्रतिष्ठापित किया (फहराया)। अतः एक ही दिन ये दो पर्व मनाये जाते हैं। इसी दिन होली भी पड़ती है। ध्वज का विशेष पूजन आदि कार्यक्रम होते हैं। सभी आपस में एक दूसरे को अबीर चढ़ाकर ‘सद्गुरु - शरणम्’ कहते हैं। इस तरह आध्यात्मिक रीति से होली भी मनाते हैं।
निर्वाण दिवस - 9 दिसम्बर 2025 (मंगलवार)
पोष कृष्ण पंचमी (दक्षिण भारतीय पंचांगुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी) को बाबा इस लोक से लीला संवरण कर ब्रह्मलीन हुए थे। इस दिन विशेष पूजन, पाठ, हवनादि के साथ मौन, जप ध्यानादि में अधिक समय व्यतीत किया जाता है।